स्वतंत्रता दिवस 78वें । जाने भारत की आजादी की कहानी

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2024 में आज जाने भारत की आजादी की कहानी 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से पूर्ण रूप से स्वतंत्र हुआ था, और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने ,उन्होंने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट पर पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया, तो आइए आज जानते है की हैं स्वतंत्रता दिवस के पीछे के इतिहास क्या है इसकी कहानी क्या है।

भारत 15 अगस्त 2024 को आजादी की 78वें दिवस मना रहा है। भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश के शासन से पूर्ण रूप से स्वतंत्र हुआ और संविधान को 1950 में हमलोगो ने अपनाया।

जाने भारत की आजादी की कहानी

हमें पूरी आजादी के इतिहास में भारत के लिए ब्रिटिश शासन से आजादी पाना बहुत आसान नहीं था, लेकिन हमारे पूर्वज और स्वतंत्रता सेनानियों तथा लोगो ने एवं राजनितिक नेताओ ने ने मिलकर इस संघर्ष में भाग लिया और आजाद होने का संकल्प किये थे। 

हमलोग आजाद हुए और 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते है और पूरी तरह से इस खुशियो का इजहार करते है और उस दिन राज्य और अस्थानिये सरकारी कार्यालय तथा कुछ private कार्यालय भी बंद रहते है।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस के संघर्ष का इतिहास

जब 1757 ई0 में ब्रिटिश शासन भारत में शुरू हुआ तो,लेकिन जब प्लासी की लड़ाई हुई तो जीत ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत दर्ज की और देश पर नियंत्रण करना शुरू किया, और ईस्ट इंडिया कंपनी 100 वर्षो तक लगभग भारत पर नियंत्रण रखा फिर उसकी जगह 1857-58ई0 में भारतीयो के विद्रोह से ब्रिटिश ताज ने अपने देख रेख में रखा।

भारतीय की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के समय ही शुरू हुआ था और महात्मा गाँधी के नेतृत्व में हुआ था,जो महात्मा गाँधी ने अहिंसा और असहयोग आंदोलन की पद्धति में वकालत किया था,और उसके बाद उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।

द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सरकर ने सन 1946ई0 युद्ध के कारण हानी होने पर भारत पर से अपना शासन ख़त्म करने के बारे में सोच रहा था, लेकिन पुनः ब्रिटिश सरकार ने 1947 ई0 के शुरुआत में फिर से इरादा बदलकर सभी भारतीय शक्ति को पहले ही जैसा हस्तांतरित करने की घोसना कर दी की जून 1948ई0 तक सारी शक्ति को पुनः फिर से सभी भारतीयों हमारे ही देख रेख में रहेगा। लेकिन इस बात से पंजाब तथा बंगाल में हिन्दू और मुसलमानो के बिच हिंसा काम हुई थी।

मूलतः जून 1947ई0 में विभाजन के लिए 4 नेता सहमत हुए जिसमे पंडित जवाहर लाल नेहरू,मोहम्मद अली जिन्ना, अब्दुल कलम आजाद एवं B.R अम्बेडकर

जाने भारत की आजादी की कहानी

इस घोषणा को होते ही अलग अलग धार्मिक लोगो ने अपना अपना जगह ढूँढना शुरू कर दिया जिसके कारण 2 लाख से 5 लाख तक लोग मरे गए। 15 अगस्त, 1947 को आधी रात को भारत को आजादी मिली और इसका समापन जवाहर लाल नेहरू के भाषण “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” से हुआ।

क्या है भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने मूल रूप से घोषणा 20 फरवरी 1947 को किया की भारत में ब्रिटिश शासन 30 जून, 1948 तक समाप्त हो जाएगी, जिसके बाद शक्तियां को भारतीय हाथों में दे दी जाएंगी।

इस घोषणा के बाद मुस्लिम लीग ने आंदोलन किया और देश के विभाजन की मांग की फिर 3 जून 1947 को ब्रिटिश सरकार ने घोषणा कर दी कि 1946 में गठित भारतीय संविधान सभा द्वारा बनाया गया कोई भी संविधान, देश के उन हिस्सों पर लागू नहीं हो सकता, जो इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

ऐसे में उसी दिन यानी 3 जून, 1947 को भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने विभाजन योजना सामने रखी, जिसे माउंटबेटन योजना के रूप में भी जाना जाता है। कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने योजना स्वीकार कर ली। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को लागू करने की योजना को तत्काल प्रभाव दिया गया।

14-15 अगस्त, 1947 की आधी रात को ही ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया और सत्ता को दो नए स्वतंत्र पक्षों में भारत और पाकिस्तान को दे दी गई ब्रिटिशो ने। इस प्रकार लॉर्ड माउंटबेटन भारत के नए डोमिनियन के पहले गवर्नर-जनरल बने रहे और जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। 1946 में स्थापित संविधान सभा भारत की संसद बन गई।

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भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। इस दिन को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ। इस स्वतंत्रता को हासिल करने में कई नेताओं और स्वतंत्रता संग्रामियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, और बाल गंगाधर तिलक जैसे कई प्रमुख नेताओं ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए अहिंसक आंदोलन, जैसे सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती दी। 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में शुरू हुआ “भारत छोड़ो आंदोलन” भी स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में एक निर्णायक कदम था। इन आंदोलनों और बलिदानों के परिणामस्वरूप, ब्रिटिश सरकार को अंततः भारत को स्वतंत्रता देनी पड़ी।

15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी।इस दिन को हम स्वतंत्रता दिवस कहते है

भारत में विदेशी शासन का आरंभ 12वीं शताब्दी में हुआ, जब 1192 में मोहम्मद गौरी ने तराइन की दूसरी लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराया। इसके बाद दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई, जिससे भारत में मुस्लिम शासन की शुरुआत हुई।

बाद में, 16वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई, जिसने भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया। हालांकि, भारत के औपनिवेशिक इतिहास की शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई, जब 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल पर कब्जा कर लिया और धीरे-धीरे पूरे भारत पर नियंत्रण स्थापित किया।

इस तरह, 1757 से लेकर 1947 तक, लगभग 190 वर्षों तक भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था।

 

पाकिस्तान 14 अगस्त को इसलिए आजादी का दिन मनाता है क्योंकि ब्रिटिश राज से विभाजन के बाद, पाकिस्तान को 14 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। हालांकि भारत और पाकिस्तान को स्वतंत्रता एक ही अधिनियम (Indian Independence Act 1947) के तहत मिली थी, और औपचारिक रूप से दोनों देशों की स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को हुई थी।

लेकिन पाकिस्तान ने 14 अगस्त को इसलिए चुना क्योंकि उस दिन इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 27 रमजान का दिन था, जिसे एक पवित्र दिन माना जाता है। इसके अलावा, लॉर्ड माउंटबेटन ने 14 अगस्त को कराची में पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली थी। इसलिए पाकिस्तान 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।

स्वतंत्रता दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि देश की स्वतंत्रता की खुशी को साझा किया जा सके और उन सभी स्वतंत्रता संग्रामियों और नेताओं को सम्मानित किया जा सके जिन्होंने देश को विदेशी शासन से आजाद कराने के लिए संघर्ष किया। यह दिन देश की आजादी, लोकतंत्र, और नागरिक अधिकारों की महत्वता को समझने और उसे संरक्षित रखने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता प्राप्त करना कितना कठिन था और इसे बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह दिन देश की प्रगति और विकास के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रेरित करता है और लोगों को एकता, देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव का अनुभव कराता है।

भारत को आधी रात को आजादी मिलने के पीछे का मुख्य कारण ज्योतिषीय और ऐतिहासिक था।

  1. ज्योतिषीय कारण: भारतीय संस्कृति में ज्योतिष का महत्व काफी रहा है। ज्योतिषियों और पंडितों ने उस समय यह सलाह दी थी कि 15 अगस्त की आधी रात (14-15 अगस्त की मध्यरात्रि) का समय शुभ और अनुकूल था। इसे “विजय मुहूर्त” माना गया, जो शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त समय था।

  2. ऐतिहासिक कारण: 15 अगस्त को भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लिए ब्रिटिश संसद द्वारा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत स्वतंत्रता घोषित की गई थी। चूंकि 15 अगस्त को ही भारत को आजादी मिलनी थी और भारत में ब्रिटिश शासन का अंत होना था, इसलिए इस दिन की शुरुआत के साथ ही, 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को भारत को आजाद घोषित किया गया।

इसलिए, आधी रात को भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की गई, जिससे देश में ब्रिटिश शासन का अंत हुआ और स्वतंत्र भारत का उदय हुआ।

भारत को आजादी के समय महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु, सरदार पटेल, बाल गंगाद्हर तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, राजेन्द्र प्रसाद, और अनेक अन्य महत्वपूर्ण नेता उस समय शामिल थे

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