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नीरज चोपड़ा, एक नाम जो भारतीय एथलेटिक्स में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाने वाले नीरज, सिर्फ एक एथलीट नहीं बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और अथक परिश्रम से न केवल टोक्यो ओलंपिक 2020 में जैवलिन थ्रो में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया, बल्कि एक ऐसे खेल में इतिहास रच दिया जहां भारत का नाम पहले कभी इतनी ऊंचाई पर नहीं पहुंचा था। नीरज चोपड़ा की कहानी संघर्ष, समर्पण, और साहस की है, चलिए जानते है इनके बारे में
चलिए नीरज चोपड़ा के जन्म के बारे में जाने
इनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में हुआ था। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। नीरज के पिता सतीश कुमार चोपड़ा एक किसान हैं, और उनकी मां सरोज देवी गृहिणी हैं। नीरज का बचपन अपने गांव में ही बीता, जहां उन्होंने एक सामान्य ग्रामीण जीवन व्यतीत किया।
ये बचपन में थोड़ा मोटे थे, और उनके परिवार ने उनका वजन कम करने के लिए उन्हें खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी क्रम में उन्होंने जैवलिन थ्रो में रुचि दिखानी शुरू की, जो आगे चलकर उनके जीवन का सबसे बड़ा जुनून और करियर बन गया। उनका प्रारंभिक जीवन सादगी और संघर्ष से भरा था, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत ने उन्हें विश्व मंच पर भारतीय तिरंगा लहराने का अवसर दिलाया।
नीरज चोपड़ा के माता पिता क्या करते है
नीरज चोपड़ा के पिता का नाम सतीश कुमार चोपड़ा है, और वे एक किसान हैं। उनकी माता का नाम सरोज देवी है, और वे एक गृहिणी हैं। उनका परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा हुआ है।
नीरज चोपड़ा का खेलों में प्रवेश एक दिलचस्प कहानी है जो उनकी बचपन की आदतों और परिस्थितियों से जुड़ी है
शुरुआती जीवन और फिटनेस की ओर झुकाव
नीरज का वजन बचपन में काफ़ी अधिक था, जिसके कारण उनके रिश्तेदार और परिवार के लोग उन्हें अक्सर इसके लिए चिढ़ाते थे। उनकी फिटनेस को सुधारने के लिए उनके परिवार ने उन्हें गाँव के पास के स्टेडियम में दाखिला दिलवाया ताकि वे दौड़ सकें और अपने वजन को नियंत्रित कर सकें।
जेवलिन थ्रो
स्टेडियम में ही नीरज की मुलाकात कुछ एथलीट्स से हुई, जो जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) का अभ्यास कर रहे थे। उन्हें इस खेल के प्रति आकर्षण हुआ और उन्होंने भी इसे आज़माने का फैसला किया। शुरुआत में उन्होंने अपने कोच जयवीर चौधरी के तहत ट्रेनिंग शुरू की, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें इस खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
कोच और ट्रेनिंग
नीरज ने अपनी शुरुआती ट्रेनिंग से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक कई कोचों से प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनके कोच ने उनकी तकनीक को सुधारने और उन्हें उच्चतम स्तर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने राष्ट्रीय खेल संस्थान, पटियाला में भी प्रशिक्षण लिया, जहां उन्होंने अपनी तकनीक और प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार किया।
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पहली बड़ी सफलता
नीरज ने 2016 में IAAF World U20 Championships में 86.48 मीटर का थ्रो कर विश्व जूनियर रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक जीता। यह उनकी पहली बड़ी सफलता थी, जिसने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
नीरज चोपड़ा के प्रारंभिक शिक्षा
नीरज चोपड़ा की प्रारंभिक शिक्षा हरियाणा के पानीपत जिले में ही हुई। वह खंडरा गांव के डीएवी हाई स्कूल से पढ़े हैं। स्कूल के दिनों में, नीरज का पढ़ाई में मन कम और खेलकूद में ज्यादा लगता था। उनका शारीरिक गठन भी थोड़ा भारी था, जिससे उनका आत्मविश्वास थोड़ा कम था। इसी वजह से, उनके परिवार ने उन्हें खेलों में सक्रिय होने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि उनका वजन कम हो सके और वे स्वस्थ रह सकें।
नीरज चोपड़ा ने इससे पहले टोक्यो ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतकर पूरी दुनिया में नाम कमाया था और भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था. इस बार के ओलंपिक में भी वह जलवा बिखेरा है. इस बार हो रहे पेरिस ओलंपिक 2024 में नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में काफी बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उनसे आगे सिर्फ पाकिस्तान के अरशद नदीम रहे. अशरद ने फाइनल मुकाबले के दूसरे थ्रो में 92.97 का थ्रो करके गोल्ड मेडल पर कब्जा कर लिया. तो आइए ओलंपिक में भारत की शान कहे जाने वाले नीरज चोपड़ा की पढ़ाई लिखाई के बारे में जानते हैं.
नीरज ने शुरुआत में अन्य खेलों में भी हिस्सा लिया, लेकिन उन्हें जैवलिन थ्रो में विशेष रुचि दिखाने का अवसर मिला। स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ, उन्होंने पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में जैवलिन थ्रो की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। यहीं से उनका खेल जीवन गंभीरता से शुरू हुआ और उन्होंने धीरे-धीरे खुद को एक उत्कृष्ट जैवलिन थ्रोअर के रूप में स्थापित किया।
नीरज चोपड़ा भारत के हरियाणा राज्य के पानीपत जिले के खंडरा गांव के रहने वाले हैं।
नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हुआ था।
नीरज चोपड़ा ने 2024 के ओलंपिक खेलों में भाला फेंक का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 91.50 मीटर की दूरी तय की। यह उनकी पहले की उपलब्धियों के साथ-साथ एक नया रिकॉर्ड है और उनकी शानदार फॉर्म को दर्शाता है।
नीरज चोपड़ा के भाले का वजन 800 ग्राम होता है। यह वजन पुरुषों के भाला फेंक में मानक होता है।