“निगम पार्षद किसे कहते हैं? निगम पार्षद स्थानीय नगर निगम का सदस्य होता है, जो शहर के विकास, प्रशासन और नागरिकों की समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।नगर निगम, जिसे महानगरपालिका भी कहा जाता है, शहरों की स्थानीय प्रशासनिक इकाई होती है जो शहर के विकास और प्रशासन के विभिन्न पहलुओं को संभालती है। निगम पार्षद वे व्यक्ति होते हैं जो नगर निगम चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं और उनका काम स्थानीय नागरिकों के मुद्दों को सुलझाना, नगर निगम की योजनाओं और नीतियों पर चर्चा करना, और अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देना होता है।
Table of Contents
निगम पार्षदों की जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
पार्षद का काम स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होता है। उनके मुख्य कार्य निम्नलिखित होते हैं:
अपने क्षेत्र की समस्याओं और आवश्यकताओं को पहचानना और नगर निगम के माध्यम से समाधान की कोशिश करना।
स्थानीय मुद्दों का समाधान: पार्षद अपने निर्वाचन क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं और जरूरतों को सुनते हैं और उन्हें नगर निगम या पंचायत के समक्ष उठाते हैं। जैसे सड़कें, पानी, सफाई, और अन्य बुनियादी सुविधाओं की समस्याएं।
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विकास योजनाओं का कार्यान्वयन: वे स्थानीय विकास योजनाओं को लागू करने में मदद करते हैं, जैसे नई सड़कें बनवाना, पार्कों का विकास करना, और सामाजिक कार्यक्रमों की योजना बनाना।
समीक्षा और प्रस्ताव: पार्षद नगर निगम या पंचायत की बैठकों में भाग लेते हैं और नए प्रस्तावों, नीतियों, और योजनाओं की समीक्षा करते हैं। वे सुझाव भी देते हैं और आवश्यक सुधार के लिए मतदान करते हैं।
- पब्लिक सेवाओं में सुधार: जैसे कि पानी, सफाई, सड़क निर्माण, आदि की सेवाओं में सुधार के प्रयास करना।
- समीक्षा और सुझाव देना: नगर निगम की नीतियों और योजनाओं पर विचार करना और सुधार के लिए सुझाव देना।
सार्वजनिक सेवाओं की निगरानी:
शहरी विकास और आधारभूत सुविधाओं की योजनाओं की योजना बनाना और उनकी निगरानी करना।
वे सुनिश्चित करते हैं कि शहर में दी जाने वाली सार्वजनिक सेवाएं, जैसे कि सफाई, जल आपूर्ति, और सीवेज प्रणाली, सही ढंग से चल रही हैं और नागरिकों को अच्छी सेवाएं मिल रही हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन:
वे स्थानीय स्तर पर सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करने में योगदान करते हैं, जिससे समुदाय की सहभागिता और एकता को बढ़ावा मिले।
सार्वजनिक सुनवाई और संचार: पार्षद अपने क्षेत्र के नागरिकों के साथ संवाद करते हैं, उनकी चिंताओं को सुनते हैं, और उनका समाधान करने के लिए प्रयास करते हैं। वे स्थानीय बैठकें आयोजित कर सकते हैं और जनता से फीडबैक प्राप्त कर सकते हैं।
Note:-यह एक महत्वपूर्ण पद है जो स्थानीय स्तर पर प्रशासन की कार्यप्रणाली में सक्रिय भूमिका निभाता है।
पार्षदों का मुखिया कौन होता है?
पार्षदों का मुखिया, नगर निगम या पंचायत के संदर्भ में, आमतौर पर “महापौर” (Mayor) होता है। महापौर नगर निगम के सभी पार्षदों द्वारा चुना जाता है और शहर के प्रशासन में शीर्ष भूमिका निभाता है। महापौर की जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित होती हैं:
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पार्षद का काम क्या क्या होता है
नगर निगम की बैठकें संचालित करना:
महापौर नगर निगम की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और उनकी संचालन प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हैं।
नीतियों और योजनाओं की निगरानी:
पार्षद का काम स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होता है। उनके मुख्य कार्य निम्नलिखित होते हैं:
Source: The Hindu
महापौर नगर निगम की नीतियों और योजनाओं की निगरानी करते हैं और उनकी कार्यान्वयन में मदद करते हैं।
स्थानीय प्रशासन के समन्वयक:
महापौर स्थानीय प्रशासन के विभिन्न विभागों और कार्यकारियों के बीच समन्वय स्थापित करते हैं।
प्रस्ताव और निर्णयों की समीक्षा:
महापौर प्रस्तावों और निर्णयों पर चर्चा करते हैं और उन्हें मंजूरी देने में भाग लेते हैं।
सार्वजनिक प्रतिनिधित्व: महापौर शहर की ओर से विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों और सरकारी बैठकें में प्रतिनिधित्व करते हैं।
विकास योजनाओं की दिशा निर्देश: महापौर स्थानीय विकास योजनाओं की दिशा और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने में मदद करते हैं।
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निगम पार्षद का वेतन कितना होता है
सिर्फ इतना ही जानना काफी नहीं है की निगम पार्षद किसे कहते हैं चलिए अब जानते है निगम पार्षद का वेतन कितना होता है
भारत में निगम पार्षद का वेतन अलग-अलग नगर निगमों के अनुसार भिन्न हो सकता है। यह वेतन नगर निगम के बजट, राज्य की नीतियों और स्थानीय प्रशासन के नियमों पर निर्भर करता है।
आमतौर पर, निगम पार्षदों को प्रतिमाह एक निर्धारित वेतन मिलता है, जिसे “सभापति वेतन” या “पार्षद वेतन” कहा जाता है। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न भत्ते और सुविधाएं भी मिल सकती हैं, जैसे कि यात्रा भत्ता, बैठकों के लिए भत्ता आदि।
नगर पार्षद के रूप में चुनाव लड़ने की पात्रता क्या है
भारत में नगर पार्षद के रूप में चुनाव लड़ने के लिए एक व्यक्ति को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होता है:
नागरिकता: उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए।
उम्र: उम्मीदवार की उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। यह मानदंड राज्य के स्थानीय चुनाव कानूनों के आधार पर बदल सकता है, लेकिन सामान्यत: 21 वर्ष की उम्र को मान्यता दी जाती है।
स्थायी निवास: उम्मीदवार को उस नगर निगम या नगर पालिका में स्थायी निवास होना चाहिए, जहां वह चुनाव लड़ना चाहता है।
निर्धारित स्थान: उम्मीदवार को उस वार्ड से चुनाव लड़ना होगा जहां वह निवास करता है। प्रत्येक वार्ड में एक पार्षद का चुनाव होता है।
समर्थन: यदि कोई पार्टी की ओर से उम्मीदवार है, तो उसे उस पार्टी की आधिकारिक अनुमति और समर्थन की आवश्यकता होती है। स्वतंत्र उम्मीदवारों को आमतौर पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडऩा होता है।
अयोग्यता: कुछ विशेष परिस्थितियों में उम्मीदवार को अयोग्य ठहराया जा सकता है, जैसे कि:
- यदि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो (विशेषकर गंभीर अपराधों के लिए)।
- यदि उसने लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत किसी भी तरह के दंड या प्रतिबंध का सामना किया हो।
नगरपालिका का सबसे बड़ा अधिकारी नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) या मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer, CEO) होता है। यह अधिकारी नगर पालिका के संचालन और प्रशासन की जिम्मेदारी संभालता है और नगरपालिका के सभी विभागों के प्रमुख होते हैं। विभिन्न कार्यों का संचालन, विकास परियोजनाओं की योजना और कार्यान्वयन, और नागरिक सुविधाओं की देखरेख जैसे कार्य इनकी देखरेख में होते हैं।
नगर पालिका में सबसे ऊंचा पद मेयर (Mayor) का होता है। मेयर को नगर पालिका का प्रधान माना जाता है और वे नगर पालिका के प्रशासनिक और राजनीतिक प्रमुख होते हैं। मेयर नगरपालिका की कार्यकारिणी की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और नीतियों के निर्माण और उनके क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मेयर का चुनाव आमतौर पर नगर पालिका के पार्षदों या सीधे जनता द्वारा किया जाता है, यह संबंधित नगर पालिका के नियमों पर निर्भर करता है।
मेयर का काम विभिन्न प्रशासनिक, विकासात्मक और सामुदायिक कार्यों की देखरेख और नेतृत्व करना होता है। उनके कार्य निम्नलिखित होते हैं:
नीति निर्धारण और क्रियान्वयन: मेयर नगर पालिका की नीतियों और योजनाओं को निर्धारित करने और उन्हें लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कार्यकारिणी की अध्यक्षता: मेयर नगर पालिका की कार्यकारिणी की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं और बैठकों के एजेंडे को तय करते हैं।
प्रशासनिक निगरानी: नगर पालिका के विभिन्न विभागों और अधिकारियों के काम की निगरानी करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि नागरिक सेवाएं प्रभावी ढंग से प्रदान की जाएं।
विकास परियोजनाओं का नेतृत्व: नगर में विकास परियोजनाओं की योजना बनाना और उनका सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
जनता से संवाद: नागरिकों की समस्याओं और शिकायतों को सुनना और उनका समाधान करना।
बजट और वित्तीय प्रबंधन: नगर पालिका के बजट की तैयारी, मंजूरी और उसके प्रभावी उपयोग की देखरेख करना।
प्रतिनिधित्व: नगर पालिका का प्रतिनिधित्व विभिन्न मंचों पर करना और नगर के हितों की रक्षा करना।
संविधिक और वैधानिक कार्य: नगर पालिका के विभिन्न कानूनी और संविधिक कार्यों को पूरा करना और सुनिश्चित करना कि नगर पालिका के सभी कार्य कानूनी ढांचे के भीतर हों।मेयर का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि नगर का समग्र विकास हो और नागरिकों को उच्च गुणवत्ता की सेवाएं प्राप्त हों।
नगर पालिका में सर्वोच्च अधिकार मेयर के पास होता है। मेयर नगर पालिका का राजनीतिक और प्रशासनिक प्रमुख होता है और वह नगर पालिका के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों और नीतियों का नेतृत्व करता है। मेयर का मुख्य कार्य नगर पालिका के विकास, बजट, और नागरिक सेवाओं की देखरेख करना है।
इसके अलावा, नगर पालिका में प्रशासनिक कार्यों के लिए नगर आयुक्त (Municipal Commissioner) या मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer, CEO) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नगर आयुक्त या CEO आमतौर पर एक सिविल सेवा अधिकारी होता है और वह नगर पालिका के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक कार्यों का प्रबंधन करता है।
नगर पालिका के राजनीतिक नेतृत्व और नीतिगत निर्णयों में मेयर का सर्वोच्च अधिकार होता है, जबकि प्रशासनिक और संचालन संबंधी कार्यों में नगर आयुक्त या CEO महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मेयर नगर पालिका की सामान्य सभा (General Body) का अध्यक्ष होता है। सामान्य सभा नगर पालिका का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय होता है, जिसमें सभी निर्वाचित पार्षद शामिल होते हैं। सामान्य सभा की बैठकों की अध्यक्षता मेयर करते हैं और इन बैठकों में नगर पालिका की नीतियों, बजट, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिया जाता है।
इसके अतिरिक्त, मेयर अन्य विभिन्न समितियों और बोर्डों के भी अध्यक्ष हो सकते हैं, जो विशेष मुद्दों और क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे कि वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि।
मेयर की अध्यक्षता में सामान्य सभा और अन्य समितियों में लिए गए निर्णय नगर पालिका के संचालन और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
मेयर को कई प्रकार की सुविधाएं और विशेषाधिकार मिलते हैं, जो उनकी जिम्मेदारियों और पद की गरिमा के अनुसार होते हैं। ये सुविधाएं विभिन्न नगर पालिकाओं में थोड़ी भिन्न हो सकती हैं, लेकिन सामान्यत: निम्नलिखित सुविधाएं शामिल होती हैं:
वेतन और भत्ते: मेयर को एक निश्चित वेतन और विभिन्न भत्ते मिलते हैं, जिसमें यात्रा भत्ता, दैनिक भत्ता, और अन्य भत्ते शामिल हो सकते हैं।
आवास: मेयर को अक्सर आधिकारिक निवास उपलब्ध कराया जाता है।
वाहन: मेयर के लिए एक आधिकारिक वाहन और ड्राइवर की सुविधा प्रदान की जाती है।
सुरक्षा: मेयर को सुरक्षा के लिए पुलिस एस्कॉर्ट और सुरक्षा गार्ड की सुविधा मिल सकती है।
कार्यालय और स्टाफ: मेयर को एक आधिकारिक कार्यालय और सहायक स्टाफ उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें सचिव, सहायक, और अन्य प्रशासनिक कर्मी शामिल होते हैं।
चिकित्सा सुविधाएं: मेयर को चिकित्सा सुविधाएं और स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है।
आधिकारिक दौरे: मेयर को सरकारी खर्चे पर आधिकारिक दौरों की अनुमति होती है, जिसमें देश और विदेश के दौरे शामिल हो सकते हैं।
प्रोटोकॉल सम्मान: मेयर को विभिन्न सरकारी और सार्वजनिक कार्यक्रमों में विशिष्ट सम्मान और प्राथमिकता दी जाती है।
अन्य सुविधाएं: मेयर को विभिन्न अन्य सुविधाएं भी मिल सकती हैं, जैसे कि टेलीफोन, इंटरनेट, और अन्य संचार सुविधाएं।
भारत में मेयर को सेवा समाप्ति के बाद पेंशन मिलने का प्रावधान विभिन्न राज्यों और नगरपालिकाओं के नियमों पर निर्भर करता है। कुछ स्थानों पर मेयर को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ मिलते हैं, जबकि अन्य स्थानों पर यह सुविधा नहीं होती है। पेंशन की पात्रता और राशि भी विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि सेवा की अवधि, नगर पालिका के वित्तीय नियम, और राज्य सरकार के नियम।
पेंशन के अलावा, कुछ नगरपालिकाओं में मेयर को अन्य सेवानिवृत्ति लाभ भी मिल सकते हैं, जैसे कि ग्रेच्युटी, भविष्य निधि, और स्वास्थ्य बीमा। इन लाभों का विवरण और प्रावधान प्रत्येक नगर पालिका के नियमों और विनियमों में निर्दिष्ट होते हैं।
अधिकांश मामलों में, यदि पेंशन का प्रावधान होता है, तो इसका उद्देश्य मेयर को सेवा समाप्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना होता है।